इंदौर। होली रंगों का त्योहार है, रंगों से सराबोर जनजीवन और यह त्योहार जब रंगपंचमी तक जाता है तो इंदौर में इसका रंग देखते ही बनता हैक्या अपने, क्या गैर, सब रंगों के घेर में आकर मस्ती से सराबोर हो जाते हैं। इस रंग परंपरा को बरसों-बरस से जीवंत बनाती आ रही है इंदौर की गेर। इसी गेर के रंग अब विश्व पटल पर उड़ने को आतुर हैं। गेर को यूनेस्को के रिकॉर्ड में दर्ज करवाकर इसे विश्व धरोहर बनाने की तैयारी अब अंतिम चरण में है। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति इसके दस्तावेज, फोटो और अन्य चीजें जुटा रही है। समिति ने करीब 72 साल पुराने दस्तावेज जुटाए हैं। समिति की ओर से यह प्रस्ताव कलेक्टर को सौंपा जाएगा और इसके बाद भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय को यह प्रस्ताव भेजा जाएगा। गेर को सांस्कृतिक धरोहर घोषित कराने का काम कर रही समिति की बैठक हाल ही में हुई इस में सुझाव आया कि देशीविदेशी पर्यटकों के लिए गेर के साथ तीन दिन का सांस्कृतिक उत्सव मनाया जाना चाहिए।
पर्यटन के लिए पैकेज बनाया जाए जिसमें महू, ओंकारेश्वर, महेश्वर और उज्जैन को भी जोड़ा जाए। बैठक में कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव, निगम आयुक्त आशीषसिंह, जिला पंचायत सीईओ नेहा मीणा ने सुझावों को सुना व अमल का आश्वासन दिया। समिति की विशेषज्ञ सदस्य डॉ. उषा जैन और डॉ. नमिता काटजू ने कहा कि गेर को यूनेस्को भेजने का प्रस्ताव लगभग तैयार हो चुका है। निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी ने गेर मार्ग पर आने वाले भवनों के सर्वे का प्रेजेंटेशन दिया। विशेषज्ञ समिति का मानना है कि शहर में पहली बार 1948 में टोरी कॉर्नर से गेर निकाली गई थी। इसके बाद अन्य स्थानों से भी गेर निकलने की परंपरा शुरू हुई।
गेर की ब्रांडिंग की जाएगी
संस्कृति मंत्रालय के जरिए यह प्रस्ताव यूनेस्को को जाएगा। राजवाड़ा के आसपास गेर का रूट करीब ढाई किलोमीटर का है। प्रशासन की योजना है कि गेर देखने के लिए देश ही नहीं, विदेश से भी पर्यटक इंदौर आएं। इसके लिए बड़े पैमाने पर गेर की ब्रांडिंग की जाएगी। साथ ही गेर के रूट पर मौजूद मकानों और भवनों की बालकनी और झज्जों पर ऐसी व्यवस्था की जाएगी जहां से पर्यटक सुविधाजनक ढंग से गेर का आनंद ले सकें। इन भवनों में पर्यटकों की सुविधा के लिए टॉयलेट और बैठने के बेहतर इंतजाम किए जाएंगे। इसके लिए निजी भवन मालिकों को भी प्रेरित किया जाएगा।
गेर के रूट का सर्वे
नगर निगम ने गेर के रूट का सर्वे किया है। इसमें 426 भवन हैं लेकिन करीब 150 भवन ऐसे हैं जिनमें ऐसी बालकनी है जहां बैठकर पर्यटक गेर देख सकते हैं। कलेक्टर लोकेश जाटव ने बताया कि इंदौर की गेर विश्व धरोहर बनने लायक सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, हर वर्ग के लोग शामिल होते हैं। गेर की ब्रांडिंग के लिए हम एक वीडियो बनाने जा रहे हैं। इसमें गेर की परंपरा और इंदौर की संस्कृति नजर आएगी टोरी कॉर्नर की गेर के प्रमुख आयोजक शेखर गिरि ने कहा कि पर्यटकों को लुभाने की तैयारी तो की जा रही है, लेकिन वर्षों से गेर परंपरा जिंदा रखने वाले आयोजकों की समस्याओं पर भी प्रशासन ध्यान दे।